बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा
- डॉ॰ हरेश्वर राय |

हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बा
दिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा ।
हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सन
ओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल बा ।
हमरा नयनन के दरपन में चाँद आ बसल
हमरा होंठन के सरगम शराब मिलल बा ।
मन के बंजर बधार में बहार आ गइल
भरल फगुआ से सोगहग किताब मिलल बा ।
जेठ जिनिगी में सावन के फूल खिल गइल
बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा ।
First Update: 02 September, 2018 01:45 PM